महाकुंभ केवल एक धार्मिक मेला नहीं है, बल्कि लाखों लोगों की आस्था का प्रतीक भी है. यह हमारी सांस्कृतिक परंपराओं को सहेजने और धर्म को समाज से जोड़कर रखने का महापर्व भी है. तभी तो लोग दूर-दूर से हर-हर गंगे के जयकारों के साथ आस्था और अद्वतीय भक्ती को समेटे यहां चले आते हैं.
जब लोग यहां संगम के घाट पर डुबकी लगाकर मां गंगे का जयकारे बोलते हैं तो मानों समूचा जनसमूह एक हो जाता है. महाकुंभ के दौरान शाही स्नान पर पवित्र नदी में आस्था की डुबकी लगाने और सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा देने से जीवन के सारे दुख संकट दूर हो जाते हैं.